अगर आप भी देखते हैं मोबाइल पर Reels तो हो जाएं सावधान, हो सकते हैं इन गंभीर बीमारियों के शिकार!
side effects of watching reels
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Aaj-कल लोगों को मोबाइल की लत लग गई है। लोग कई घंटों तक मोबाइल पर चिपके रहते हैं। मोबाइल पर लोग सोशल मीडिया ऐप्स का ज्यादा इस्तेमाल करने लगे हैं। लोग इंस्टाग्राम, फेसबुक और यूट्यूब पर शॉर्ट वीडियोज और रील्स देखते हैं।
कई लोग तो घंटों तक रील्स देखते रहते हैं। हावर्ड मेडिकल स्कूल की रिसर्च के मुताबिक रील्स देखते रहने और बनाते रहने वाली दुनिया मास साइकोजेनिक इलनेस यानी MPI की मरीज हो सकती है।
क्या होती है Mass psychogenic illness
हावर्ड मेडिकल स्कूल की एक रिसर्च के मुताबिक जरूरत से ज्यादा वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्मस पर रहने वाले लोगों में (Mass psychogenic illness) मास साइकोजेनिक इलनेस के लक्षण नजर आते हैं। ऐसे लोग अक्सर दूसरों के सामने बातचीत करते वक्त टांगे हिलाते रहते हैं। ये एक तरह का हाइपर एक्टिव रेस्पांस है! इस बीमारी का पहला लक्षण
बेचैनी और फोकस ना रहना
आपने अक्सर देखा होगा कि ज्यादातर लोग किसी वीडियो को लंबे समय तक नहीं देख पाते और दो से तीन मिनट में एक से दूसरे, दूसरे से तीसरे और चौथे वीडियो पर चले जाते हैं। लगातार ऐसा करते रहने से इंसान का दिमाग किसी भी चीज पर अटेंशन के साथ फोकस ना करने का आदी हो जाता है और बेचैन रहता है।
डिप्रेशन
इसके अलावा सोशल मीडिया की वजह से लोग डिप्रेशन में भी आ सकते हैं। दूसरों के ज्यादा फॉलोअर अपनी पोस्ट पर कम कमेंट्स और लाइक्स ऐसे लोगों को असल दुनिया से दूर कर देते हैं। कई बार नेगेटिव कमेंट्स का भी असर दिमाग पर होता है। ऐसे लोग डिप्रेशन के शिकार होते भी देखे गए हैं।
हो सकती है ये बीमारियां भी
6-7 इंच की स्क्रीन में तेज़ लाइट में देर तक रहने से लोगों में सिर दर्द और थकान बढ़ रही है। माइग्रेन के मरीजों को तो डॉक्टर रोशनी से दूर रहने की सलाह देते हैं। मोबाइल की रोशनी भी उसमें शामिल है। लगातार झुककर मोबाइल की स्क्रीन में देखते रहने से गर्दन और कमर का दर्द बढ़ जाता है। मोबाइल देखते समय लोग अपनी गर्दन झुकाकर रखते हैं। आपकी गर्दन जितनी ज्यादा झुकती जाती है, उस पर उतना ही बोझ पड़ता है और लगातार पड़ रहा बोझ रीढ़ की हड्डी की बनावट को परमानेंट तौर पर बदल सकता है यानी बिगाड़ सकता है।
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