IPO क्या होता है? What is IPO in Hindi:
आज के समय में शेयर बाजार में जो भी कंपनी आती है, वह अपने IPO लाती है आईपीओ क्या है, आज हम इसके बारे में संपूर्ण जानकारी आपको देंगे!
Initial Public Offering (IPO) |
1. IPO क्या होता है:
इनीशियल पब्लिक आफ़रिंग किसी कंपनी को पैसे की जरूरत होती है तो वह अपना शेयर निवेशकों को भेजती है यानी पब्लिक को भेजती है जिसे (IPO) Initial public offering कहते हैं!
कंपनी आईपीओ के जरिए पैसे उठाती है तो वह अलग-अलग कामों में इसे निवेश करती है! उदाहरण के लिए कंपनी अपने नए प्रोडक्ट को बनाने में, कर्ज का भुगतान करने में, कंपनी अपना विस्तार करने में और अन्य चीजों में कर सकती है,इसके बदले आईपीओ खरीदने वाले लोगों को यानी निवेशकों को कंपनी में हिस्सेदारी मिल जाती है!
2. IPO लाने के लिए कंपनी क्या करती है:
IPO कंपनी आईपीओ लाने से पहले सब सभी प्रकार के डॉक्यूमेंट तैयार करती है, और SEBI को सभी जानकारी देती है की आईपीओ क्यों ला रही है और उसे पैसे को कहां लगाना है, और कितने का मार्केट कैप कंपनी इस आईपीओ में दिख रही है! जब यह जानकारी पूर्ण रूप से सेबी के पास उपलब्ध हो जाती है , उसके बाद उसको आईपीओ लाने की अनुमति दे देता है ! इसके बाद कंपनी अपना आईपीओ ला सकती है!
IPO Stock Market |
3. IPO में निवेश कैसे करें/ आईपीओ कैसे खरीदें:
सबसे पहले बता दूं 'कि किसी निवेश को अगर आईपीओ में निवेश करना होता है तो सबसे पहले उसके पास एक डीमैट अकाउंट होना चाहिए! क्योंकि निवेशकों को अपने शेयर रखने के लिए जरूरत पड़ती है, कंपनी कभी भी अलॉटमेंट पेपर फॉर्म में नहीं करती है बल्कि वह share को डीमैट फॉर्म में ही देती है!
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आईपीओ की अवधि: जब भी कोई नया आईपीओ मार्केट में आता है और खुला रहता है, तो इसे प्रायमरी मार्केट (Primary Market) कहते हैं! आमतौर पर इसकी अवधि 3 से 15 दिन हो सकती है!
4.कंपनी का आईपीओ ओपन होने के बाद:
जब भी किसी कंपनी का आईपीओ ओपन होता है, तो उसे कंपनी का अपना Bid Price होता है, जो की Lot, मैं डिवाइड होता है! एक Lot में कितने Share होंगे! यह कंपनी ही तय करती है, आपको बता दे की एक रिटेल इन्वेस्टर अधिकतम 2 लख रुपए तक का निवेश कर सकता है!
आईपीओ में जब भी कोई आईपीओ अप्लाई करता है! तो उसके सेविंग या ट्रेडिंग अकाउंट में कंपनी की बोली के बराबर धनराशि होनी चाहिए! जो कि ब्लॉक हो जाती है, जब तक आईपीओ का शेयर एलॉटमेंट ना हो जाए , जब आईपीओ के शेयर निवेशकों के पास चले जाते हैं! तो निवेशक उसे खरीद या बेच सकते हैं! जो की लिस्टिंग के बाद होता है उसे मार्केट को सेकेंडरी मार्केट SecondaryMarket कहते हैं!
आईपीओ (Initial Public Offering) दो प्रकार के होते हैं:
1. बुक बिल्डिंग (Book Building):
इसमें कंपनी की सभी शेयरों का मूल्य निर्धारित नहीं होता है। इसमें निवेशकों से एक न्यूनतम मूल्य के साथ शेयरों की दर की पेशकश की जाती है, और निवेशकों को अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर शेयरों का चयन करने की अनुमति होती है।
2. फिक्स्ड प्राइस (Fixed Price):
इसमें कंपनी की सभी शेयरों का मूल्य सबसे पहले ही निर्धारित होता है। निवेशकों को शेयरों का खरीदारी करने के लिए सबसे पहले निर्धारित मूल्य पर आवेदन करना होता है।
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आईपीओ (Initial Public Offering) में निवेश करने से पहले निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदुओं का ध्यान रखना चाहिए:
- कंपनी के बारे में जानकारी
- IPO का प्रोस्पेक्टस पढ़ें
- कंपनी का उद्देश्य
- IPO के अनुसार निवेश की सीमा
- निवेश की विधि
- IPO के बाजार मूल्य
- पुराने निवेशकों का समीक्षा
- रिस्क प्रबंधन
- निवेश के लक्ष्य
- ब्रोकर का चयन
- IPO के माध्यम से प्राप्त होने वाले पूंजी का उपयोग
- प्रतिस्पर्धी मुकाबला
- निवेश के प्रभाव
यदि आप स्टॉक मार्केट में निवेश करने का सही तरीका सीखना चाहते हैं तो -
आप वारेन बफेट के निवेश का रहस्य पुस्तक को अवश्य पढ़ें।
द साइंटिस्ट जांचकर्ता , स्टॉक टू रिचेस ,
शेयर मार्केट गाइड जैसी बेहतरीन किताबें पढ़ सकते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
आईपीओ (IPO) के लिए आवेदन करने से पहले, कंपनियों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करना और उनसे जुड़े लाभ और संभावित जोखिमों को ध्यान में रखना जरूरी होता है। जैसा कि पहले बताया गया है, आपको आईपीओ (IPO) के लिए आवेदन करने के लिए डीमैट अकाउंट होल्ड करना होगा। एंजेलवन ऐप पर मुफ्त में अपना डिमैट अकाउंट खोलें और अपनी निवेश की यात्रा को शुरू करें। अगर आपको पोस्ट थोड़ा भी अच्छा लगे तो जरूर बताएं धन्यवाद!
1 Comments:
Click here for CommentsThank you very much for telling me about IPO and what should be searched about the company before investing. Then thank you once more.
Thank you for comments ConversionConversion EmoticonEmoticon